अरथ अमित अरु आखर थोरे’ का विमोचन सम्पन्न- परिचर्चा और सम्मान समारोह

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भारतीयता के संवाहक‌ संतों की सृजनात्मकता उकेरती कृति – डॉ. सत्येन्द्र शर्मा

पंडित ब्रजवासी लाल दुबे सारस्वत अलंकरण से विभूषित

शब्द शिल्पी परिवार के तत्वावधान में सतना के वयोवृद्ध साहित्यकार पं ब्रजवासी लाल दुबे की नवीनतम कृति ‘अरथ अमित अरु आखर थोरे’ का विमोचन- परिचर्चा और सम्मान समारोह रविवार 3 अक्टूबर को 3 बजे से सतना पुरानी सब्जी मंडी रोड़ स्थित प्रणामी मंदिर विद्यालय के सभागार में आयोजित किया गया।

इस समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. सत्येन्द्र शर्मा (सेवानिवृत्त अतिरिक्त संचालक और साहित्यकार उच्च शिक्षा) विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार चिन्तामणि मिश्र रहे। इस समारोह की अध्यक्षता प्रणामी मंदिर सतना के प्रमुख स्वामी परमानन्द जी ने किया। इस अवसर पर विद्यालय के प्रशासक जे डी सिंह रहे और पं ब्रजवासी लाल दुबे विशेष रूप से मंचासीन रहे।

समारोह का संचालन अनिल अयान ने किया।
इस समारोह का आरंभ मां सरस्वती की प्रतिमा में अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्जवलित करके किया गया। तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत प्रणामी सम्प्रदाय के समिति के पदाधिकारियों ने पुष्पमाला और बैच लगाकर किया। अगले क्रम में अतिथियों ने पंडित ब्रजवासी लाल दुबे की कृति अर्थ अमित अरु आखर थोरे का विमोचन किया।

कृति पर विचार व्यक्त करते हुए चिंतामणि मिश्र ने कहा कि ब्रजवासी लाल जी ने प्रभु प्राणनाथ जी का गुणगान किया है उनको प्राणनाथ जी का आशीर्वाद प्राप्त है। इस कृति में उन्होंने पूरे देश के विभिन्न धर्मों के संत समुदाय को एक स्थान पर केंद्रित करने का कार्य किया है। वो हमारे सतना के बुद्धिजीवी साहित्यकार के रूप में जाने जाते हैं।

डॉ. सत्येन्द्र शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि दुबे की का लेखन आस्था और लव लगने का लेखन है। उनकी जीवन की तपस्या का परिणाम है ये पुस्तकें। वो बुंदेलखंड के अनमोल रतन है। इस पुस्तक में भारतीय पौराणिक परंपरा के संत समुदाय को एक कृति में स्थान दिया। इस कृति में विभिन्न संप्रदाय के संत पढ़ने को मिलेंगे। इस कृति का शीर्षक रामचरित मानस की अर्धांली से लिया गया जो बहुत ही गूढ़ अर्थ रखती है।

इस अवसर पर पंडित ब्रजवासी लाल दुबे ने लेखकीय उद्गार में कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन निजानंद संप्रदाय, और प्रभु प्राणनाथ को समर्पित कर दिया। उन्होंने प्रचार प्रसार के लिए बहुत से छोटे भजन लिखे। इस पुस्तक की महत्ता पर आपने विस्तार से जानकारी दी।

अध्यक्षता कर रहे स्वामी परमानंद जी ने ब्रजवासी लाल दुबे के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। साथ ही साथ आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर इंदिरा शर्मा ने स्वामी प्राणनाथ जी की महिमा पर विचार व्यक्त किया।

अगले क्रम में अतिथियों के द्वारा पंडित ब्रजवासी लाल दुबे का सारस्वत अलंकरण किया गया। इस अवसर पर उन्हें शाल सम्मान पत्र और श्रीफल दिया गया। सम्मान पत्र का वाचन वरिष्ठ साहित्यकार राजधर मिश्र हयात ने किया। अंत में सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर में जगदीश तिवारी, रफीक सतनवी, आनंद त्रिपाठी जैतवारा, अरुण मिश्र, कैलाश यादव अमिरती, एस एल प्रजापति, राकेश त्रिपाठी, राजललन पांडेय, ममता सिंह, विजय धामी, राजेश दुबे, गौरव दुबे, पुरुषोत्तम शर्मा, इंदिरा शर्मा सहित विभिन्न विद्वान मौजूद रहे।

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