भारत-यूएई के बीच बन सकता है धन-प्रेषण गलियारा: लुलू

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नई दिल्ली । वित्तीय सेवा कंपनी लुलू फाइनेंशियल होल्डिंग्स का कहना है ‎कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच हुए वृहद आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) से दोनों देशों के बीच धन-प्रेषण गलियारे को बढ़ावा मिलने के साथ ही अंतर-परिचालनीय डिजिटल समाधानों के निर्माण के लिए अनुकूल माहौल पैदा होगा। यूएई की राजधानी अबू धाबी स्थित लुलू फाइनेंशियल होल्डिंग्स का यूएई के अलावा भारत में भी खासा निवेश है।

भारत और यूएई के बीच 18 फरवरी को सीईपीए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह एक मई से लागू हो गया है। लुलू फाइनेंशियल के एक व‎रिष्ठ अ‎धिकारी प्रबंध निदेशक अदीब अहमद ने कहा कि भारत और यूएई का रिश्ता इस समय सबसे ऊंचे स्तर पर है। यूएई की कंपनियों के बीच भारत में निवेश को लेकर खासा आकर्षण देखा जा रहा है। सीईपीए वह नींव बनने जा रही है जिस पर आगे चीजें खड़ी होंगी।

भारत दौरे पर आए यूएई के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल अहमद ने कहा कि इस अंतर्निहित बुनियाद से व्यापार, उत्पाद, सेवा एवं डिजिटल समाधान जैसे कई क्षेत्रों को फायदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि सीईपीए दोनों देशों के निवेशकों एवं मौजूदा उद्यमियों के लिए अंतर-परिचालनीय डिजिटल समाधान लाने को एक अनुकूल माहौल पैदा करने का काम करेगा।

यूएई में रहने वाले भारतीय नागरिक बड़े पैमाने पर अपने घरवालों को पैसे भेजते हैं लिहाजा सहज धन-प्रेषण या रेमिटेंस सुविधा से उन्हें काफी सहूलियत होगी। भुगतान उद्योग के नजरिये से देखें तो यह समझौता यूएई एवं भारत के बीच धन-प्रेषण गलियारे को प्रोत्साहन देगा।

उन्होंने कहा ‎कि भारत और यूएई के बीच होने वाला 20 अरब डॉलर से अधिक का धन-प्रेषण अमेरिका-मेक्सिको के बाद दूसरा सबसे बड़ा गलियारा है। इसका भारत में विदेश से आने वाले रेमिटेंस में 33 प्रतिशत हिस्सा है। लुलू ग्रुप के चेयरमैन यूसुफअली एमए ने कहा कि सीईपीए पर हस्ताक्षर होने से दोनों देशों के बीच सहयोग के कई नए क्षेत्र खुलेंगे और दोनों देशों की कंपनियों को इसका लाभ मिलेगा।

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