Satna : एडीएम विमलेश जबलपुर सीईओ हरेंद्र गए छिंदवाड़ा,दिव्यांक का खरगोन तबादला

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सतना । प्रतिबंध हटने के बाद जुलाई के महीने में शुरू हुए तबादलों की आंच सतना पर भी पड़ना शुरू हो गई है। राज्य शासन द्वारा सोमवार को जारी तबादला सूची ने सतना मुख्यालय समेत जिले के 3 राजस्व अनुविभागो को खाली कर दिया है तो जिला पंचायत सीईओ एवं अपर कलेक्टर भी बदल दिए हैं। हालांकि सिटी मजिस्ट्रेट रहे संयुक्त कलेक्टर को प्रमोट कर सतना में ही एडीएम पदस्थ किया गया है।

राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी स्थानान्तरण आदेश के अनुसार सतना की अपर कलेक्टर सुश्री विमलेश सिंह पेंड्रो का तबादला जबलपुर कर दिया गया है। उनके स्थान पर सतना में सिटी मजिस्ट्रेट के तौर पर पदस्थ संयुक्त कलेक्टर राजेश शाही को पदोन्नत कर अपर कलेक्टर बनाया गया है। बताया जाता है कि अपर कलेक्टर सुश्री सिंह जबलपुर में पोस्टिंग की इच्छुक भी थीं। उधर नागौद और रघुराजनगर ग्रामीण के एसडीएम का जिम्मा संभाल रहे परिवीक्षाधीन आईएएस दिव्यांक सिंह का भी तबादला खरगोन के लिए कर दिया गया है। वे खरगोन जिला पंचायत के सीईओ बनाये गए हैं। पहले से ही संभावना जताई जा रही थी कि उनका स्थानांतरण हो सकता है। दिव्यांक सिंह के तबादले और शाही के प्रमोशन के बाद सतना मुख्यालय का रघुराज नगर राजस्व अनुविभाग खाली हो गया है। गौरतलब है कि पिछले दिनों मैहर में रहे संयुक्त कलेक्टर सुरेश अग्रवाल और रामपुर एसडीएम सुश्री संस्कृति शर्मा का भी ट्रांसफर हो चुका है। अग्रवाल को कार्यमुक्त भी किया जा चुका है। उनके स्थान पर आये मेहता रामनगर एसडीएम पदस्थ किये गए हैं जबकि एक डिप्टी कलेक्टर धर्मेंद्र मिश्रा ने अभी सतना में उपस्थिति नहीं दी है। आईएएस अफसर दिव्यांक सिंह का स्थानांतरण होने से रघुराजनगर ग्रामीण और नागौद एक साथ खाली हो गए हैं।

6 माह भी पूरे नहीं कर पाए हरेंद्र

आने के साथ ही विवादों और सुर्ख़ियों का हिस्सा बन गए जिला पंचायत के सीईओ हरेंद्र नारायण को सतना रास नहीं आया। आईएएस अफसर रिजु बाफना के स्थानांतरण के बाद जनवरी में सतना आये हरेंद्र नारायण सतना में अपने 6 माह भी पूरे नहीं कर पाए। उनका भी सतना से छिंदवाड़ा के लिए तबादला कर दिया गया है। उनके स्थान पर परीक्षित संजय राव झाड़े को सतना जिला पंचायत का नया सीईओ पदस्थ किया गया है। परीक्षित वर्ष 2017 बैच के अधिकारी हैं। माना जाता है कि हरेंद्र नारायण की कार्यशैली और बर्ताव सतना के नेताओं ही नहीं अधिकारियों – कर्मचारियों को भी रास नहीं आ रहा था। हालांकि वे तेज तर्रार अधिकारियों में शुमार किये जाते हैं लेकिन किसी की न सुनने के आरोप उनकी तमाम खूबियों पर भारी पड़ते आये हैं।

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