भाजपा : रूठों को मनाने कोशिशें तेज,खनिज मंत्री और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कर रहे बागियों की नाराजगी दूर करने के प्रयास,मिली बड़ी कामयाबी,वंदना मानीं पुष्पराज भी लेंगे पर्चा वापस
सतना। रैगांव के उप चुनाव के मैदान में भाजपा के लिए मुश्किल बने बागियों को मनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। पार्टी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को इन कोशिशों को सकारात्मक अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी है। शिवराज सरकार के कद्दावर मंत्री भी सतना में डेरा डाले हुए हैं और भाजपा की राह के रोड़े हटाने की कोशिश कर रहे हैं।
रैगांव के उप चुनाव में टिकट वितरण के बाद उपजे असंतोष ने भाजपा के सामने मुश्किल खड़ी कर दी है। दिवंगत विधायक के घर से ही उनके बड़े बेटे पुष्पराज बागरी और छोटी पुत्रवधु वंदना देवराज बागरी ने बगावत कर दी है। हालांकि संवीक्षा में पुष्पराज का भाजपा से भरा पर्चा निरस्त हो गया लेकिन निर्दलीय तौर पर भरा गया उनका नामांकन विधिमान्य हो गया।
अभी भी चुनाव मैदान में!
वंदना ने तो पहले ही निर्दलीय नामांकन भरा था लिहाजा जेेठ – बहू दोनो अभी भी चुनाव मैदान में बने हुए हैं। वंदना ने तो क्षेत्र में चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है। बागियों के इन तेवरों ने भाजपा की चिंता बढ़ा रखी है लिहाजा रूठों को मनाने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं। प्रयास किया जा रहा है कि 13 अक्टूबर को नाम वापसी के दिन भाजपा अपनी राह में आ रहे बगावत के कांटे दूर कर ले। जो रूठे हैं वो मान जाएं और सब एक साथ भाजपा के लिए खड़े नजर आएं। भाजपा ने इसके लिए खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह को जिम्मेदारी सौंपी है।
दावा किया जा रहा है,मान गए दोनो :―
मंगलवार को खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह,भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष योगेश ताम्रकार तथा सतना जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष गगनेन्द्र प्रताप सिंह ने पुष्पराज बागरी तथा वंदना देवराज बागरी के साथ कई दौर की चर्चा की। उन्होंने बागरी परिवार को आश्वस्त किया कि ये परिवार भाजपा का है और भाजपा अपने परिवार के मान सम्मान में कभी कमी नही आने देगी। देर रात तक चली बातचीत और समझाइश के दौर के बाद उन्हें बागरी परिवार ने भी आश्वस्त किया है। दावा किया जा रहा है कि पुष्पराज और वंदना 13 अक्टूबर को अपने नामांकन वापस ले लेंगे। हालांकि पूरी तस्वीर बुधवार को ही साफ होगी लेकिन माना जा रहा है कि अगर भाजपा ने पुष्पराज और वंदना देवराज बागरी को साध लिया और वो साथ आ गए तो चुनावी राह भाजपा के लिए काफी हद तक आसान हो जाएगी।
एक ही कार्यकाल मे थे जिला पंचायत के प्रतिनिधि :―
बता दें कि बागरी परिवार को समझाने – मनाने गए खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह रैगांव और नागौद विधानसभा से जुड़े क्षेत्र पन्ना से विधायक हैं इस नाते भी उनके रैगांव क्षेत्र और बागरी परिवार से अच्छे रिश्ते हैं। इसी तरह पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष गगनेन्द्र प्रताप सिंह और बागरी परिवार के बीच भी सामंजस्य अच्छा है क्योंकि बागरी परिवार के चार सदस्य उसी कार्यकाल में जिला पंचायत के सदस्य थे जिसमें गगनेन्द्र जिला पंचायत अध्यक्ष थे।
उस कार्यकाल में पुष्पराज बागरी जिला पंचायत उपाध्यक्ष ,उनकी पत्नी प्रभा बागरी,अनुज देवराज बागरी तथा अनुज वधु वंदना देवराज बागरी जिला पंचायत की सदस्य थीं। उपचुनाव में बगावत के फेर में बुरी तरह फंस चुकी भाजपा को पूर्व जिपं अध्यक्ष गगनेन्द्र प्रताप सिंह ने बखूबी बाहर निकाला। जब सब तरफ से मान मनौव्वल में पार्टी सफल नहीं रही तो गगनेन्द्र प्रताप को ये जिम्मा दिया गया। उनकी मध्यस्थता में आखिर बात बन गई।
अभी 19 लोग मैदान में,13 को है नाम वापसी का दिन :―
रैगांव उपचुनाव के मैदान में फिलहाल 19 प्रत्याशी मैदान में हैं। भाजपा से प्रतिमा बागरी और कांग्रेस से कल्पना बागरी समेत 19 प्रत्याशियों के पर्चे विधि मान्य पाए गए हैं। भाजपा के विधायक रहे स्व जुगुल किशोर बागरी के पुत्र पुष्पराज बागरी तथा पुत्रवधु वंदना देवराज बागरी निर्दलीय मैदान में हैं।नाम वापसी के लिए 13 अक्टूबर की तारीख निश्चित है। नाम वापसी के बाद तस्वीर स्पष्ट होगी कि मैदान में अब कौन – कौन बचा।
वंदना मानीं तो लेकिन धो! डाला,खूब सुनाई खरी खोटी :―
रैगांव उपचुनाव में स्व. विधायक जुगलकिशोर बागरी की छोटी बहू वंदना बागरी ने जिस तरीके से अपना नामांकन दाखिल कर प्रचार शुरू कर दिया था उससे भाजपा की सांसें ऊपर नीचे हो रहीं थी। पूर्व जिपं अध्यक्ष की मध्यस्थता में मंगलवार को उन्हें मनाने पहुंचे खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष योगेश ताम्रकार लक्ष्य में सफल रहे।
वंदना फार्म निकालने राजी भी हो गईं। लेकिन अपना गुबार निकालने से भी नही चूकी। एक जनप्रतिनिधि पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने ऐसा प्रचारित किया जैसे दोनों भाइयों में तलवारें निकल आई हैं।
एक पार्टी पदाधिकारी को तो ये तक बोल दिया – कि लाली लिपिस्टिक की राजनीति कर रहे। गुस्सा जब फूटा तो तमाम ऐसी खरी खोटी सुनाई की सभी चुप सुनते रहे। हालांकि वंदना ने बाहर पार्टी संगठन पर विश्वास जताते हुए पर्चा निकाल लेने की बात कहीं।